क्ष
ण एक असाही येतो, उलघाल जिवाची होते,
थकलेले मन सावरण्या, सोबतीस कविता येते....!
| तृषा | -शाम |
| हळवी कातरवेळ | मुग्धमानसी |
| वाटा | shuma |
| गझल: कुणाचा? | जयन्ता५२ |
| यंदा भिजायचं नाही | Vini |
| ऋतू अंतरीचे... | Rutuved |
| शिशिरातली कविता | देवा |
| अस्वस्थ कहाणी | बयो |
| दिलासा | बयो |
| पहिल्या सरी | शितु |